02 Dec Section 2(D) of Indian Contract Act in Hindi
कॉपी संपादक और एसईओ दोनों के अनुभव के साथ, भारतीय अनुबंध अधिनियम का धारा 2(d) पर एक लेख लिखें।
भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 भारत में अनुबंधों को नियंत्रित करने वाला एक उच्चाधिकार है। इस अधिनियम की धारा 2(d) एक व्यक्ति के लिए एक अनुबंध का परिभाषित करती है।
धारा 2(d) के अनुसार, “जब दो व्यक्ति में से एक समझौते के लिए दस्तावेज संबंधी वाणिज्यिक संबंधों की ओर इशारा करता है तो उस समझौते को अनुबंध कहते हैं।”
इस धारा के आधार पर, अनुबंध की परिभाषा यह है कि यह दो व्यक्तियों के बीच एक समझौते को व्यवस्थित करता है जिसमें एक व्यक्ति अपनी इच्छा से दूसरे व्यक्ति को कुछ देता है और दूसरा व्यक्ति उस बदलाव के लिए उत्तरदायी होता है।
धारा 2(d) के अनुसार, समझौते के लिए दस्तावेज एक आवश्यक शर्त है जो यह दर्शाता है कि दोनों व्यक्तियों के बीच मौजूद अनुबंध की शर्तें क्या हैं। इससे एक स्पष्ट समझौता होता है कि दोनों व्यक्तियों के बीच क्या हो रहा है और किन शर्तों पर वे एक दूसरे से सहमत होंगे।
धारा 2(d) भारतीय अनुबंध अधिनियम का एक महत्वपूर्ण अंग है और यह व्यापक रूप से व्यवस्थित अनुबंधों को नियंत्रित करता है। यह एक समझौते को एक स्थिर विश्वासाधारण विवरण और शर्तों के साथ पेश करने के लिए सहायता करता है।
अतः, धारा 2(d) भारतीय अनुबंध अधिनियम के संबंध में एक महत्वपूर्ण धारा है जो दो व्यक्तियों के बीच कुछ विश्वसनीय तथा स्पष्ट समझौते की भूमिका निभाती है।
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